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Showing posts from February, 2013

उच्च रक्त चाप की समस्या

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रक्तचाप धमनी की दीवारों पर लागू होने वाले बल का माप होता  है। उच्च रक्त चाप एक ऐसी जिस्मानी स्थिति है जिसे आमतौर से नजरंदाज कर दिया जाता है। बदकिस्मती यह है कि दुनिया भर में जितने लोग इससे मर रहे हैं, उतने किसी और बीमारी से नहीं। इससे भी ज्यादा खराब खबर यह है कि भारत व अन्य विकासशील देशों में उच्च रक्त चाप के कारण मृत्युदर में लगातार वृद्धि हो रही है। अनियमित दिनचर्या और जीवन शैली की वजह से होने वाला तनाव आज शहरी आबादी और खासकर युवाओं में उच्च रक्त चाप की समस्या के रूप में तेजी से सामने आ रहा है।भारत की लगभग ३० प्रतिशत शहरी आबादी इस रोग की चपेट में बताई गई है। जबकि १० से १२ प्रतिशत ग्रामीण इस रोग से पीडित हैं। चिकित्सा विग्यान में निम्न रक्त चाप की तुलना में उच्च रक्त चाप ज्यादा नुकसानदेह बताया गया है। कारण ये है कि उच्च रक्त चाप से रोगी में अन्य कई तरह की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। ज्यादा रक्त चाप की परिणिति लकवा अथवा हार्ट अटेक में भी होती है। भारत में ३५ वर्ष से ज्यादा के लोगों में यह रोग तेजी से प्रवेश कर रहा है। यह चिंताजनक है क्योंकि यही आबादी देश की उत्पादक आबादी है। रक्त चाप के

Morning Healthy Starts

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कुछ सोचने वाली बाते

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ज्यादातर लोग आज की बनी रोटी कल खाना पसंद नहीं करेंगे, कुछ तो ऐसे भी है जो सुबह की बनी रोटी शाम को भी नही खाते, अब मैं अगर आपसे बोलूँ की आज रोटी बनाकर उसको पौलिथीन में पैक कर देता हूँ, उसको ४ दिन बाद खाने को कौन राजी होगा? आप सोच रहे होंगे की क्या बेतुकी बातें कर रहा हूँ, अब जरा सोचो की आटे को सड़ाकर बनाई हुई ब्रेड और पाँव रोटी जो पता नही कितने दिन पहले की बनी हुई है, उसको इतना मजे ले कर क्यों खाते हो ? क्यों बर्गर और ब्रेड पकोड़ा खाते वक्त ये बातें दिमाग में नही आती हैं ? अगर हम ताजा रोटी खाने की परम्परा को दकियानुसी मान कर ४-५ दिन पहले बनी बासी रोटी खाने को अपनी शान समझते है तो हम पढ़े लिखे मूर्खो के सिवा और कुछ नही है, यूरोप के गधों के पीछे आँख बंद कर चलने वाली भेड़ चाल को हमें छोड़ना ही होगा, यूरोप में ब्रेड खाना उनकी मज़बूरी है, वहाँ का तापमान इतना कम रहता है की रोटी बनाना संभव ही नही है, आटा गूँथने के लिए पानी चाहिए लेकीन वहाँ छः महीने तो बर्फ जमी रहती है, इसीलिए वहाँ ब्रेड बनाई जाती है जिसमें आटा गूँथने की जरुरत नहीं होती है, आटे को सड़ाकर ब्रेड बना दी जाती है, और अत्यंत कम तापमा

सेंधा नमक (Rock Salt)

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गुड़ स्वास्थ के लिए अमृत

चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है। जबकि गुड़ स्वास्थ के लिए अमृत है। क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है)। जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए हानिकारक है। गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है। गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फोस्फोरस भी होता है। जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों को बनाने में सहायक होता है। जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का उपयोग करें।

वसंत ऋतुचर्या

आयुर्वेद में ऋतुचर्या का अपना एक महत्व है, पूर्णतया निरोगी जीवन जीने के लिए ऋतु अनुसार खानपान तथा दिनचर्या में बदलाव लाने को ही आयुर्वेद में 'ऋतुचर्या' कहा गया है | अभी शीत ऋतु का गमन तथा वसंत ऋतु का आगमन हुआ है इसलिए आपसे हम वसंत ऋतुचर्या का ज्ञान साझा कर रहे हैं , भविष्य में हर ऋतु के आगमन पर उसकी ऋतुचर्या बताई जाएगी | वसंत ऋतु को 'ऋतुराज' कहा गया है जिसमें रंग बिरंगे फूल खिलते हैं तथा शीतल व मंद वायु बहती है, जिसमें सहज में ही प्रभु स्मरण द्वारा ध्यानावस्था में पहुंचा जा सकता है | ऐसी सुन्दर ऋतु में आयुर्वेद ने खान पान में संयम की बात कहकर व्यक्ति एवम समाज की निरोगिता का ध्यान रखा है | जिस तरह पानी आग को बुझा देता है वैसे ही वसंत ऋतु में पिघला हुआ कफ़ जठराग्नि (जथर/पेट की वो अग्नि जो पाचन का कारण है ) को मंद कर देता है l इसीलिए इस ऋतु में लाइ, भुने चने, ताज़ी हल्दी, ताज़ी मूली, अदरक, पुरानी जों,साबुत मूंग तथा पुराने गेहूं से निर्मित दलिया व आटा खाने के लिए कहा गया है | इस ऋतु में सूरज की मंद धूप का सेक लेना चाहिए जिससे पूरे वर्ष के लिए विटामिन डी शरीर में एकत्रित हो

दस्त हो गया हो

अगर आपकी पेट ख़राब है दस्त हो गया है, बार बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अछि दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो पीछे से गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंध हो जाते है एक ही खुराख में | अगर बहुत जादा दस्त हो ... हर दो मिनिट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डालके जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है | और एक अछि दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो पीछे से थोडा पानी पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है | पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और पीछे से गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा | और एक अछि दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी