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Showing posts from September, 2013

माँ

मेरी माँ की सिर्फ एक ही आँख थी और इसीलिए मैं उनसे बेहद नफ़रत करता था | वो फुटपाथ पर एक छोटी सी दुकान चलाती थी | उनके साथ होने पर मुझे शर्मिन्दगी महसूस होती थी | एक बार वो मेरे स्कूल आई और मै फिर से बहुत शर्मिंदा हुआ | वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है ? अगले दिन स्कूल में सबने मेरा बहुत मजाक उड़ाया | मैं चाहता था मेरी माँ इस दुनिया से गायब हो जाये | मैंने उनसे कहा, 'माँ तुम्हारी दूसरी आँख क्यों नहीं है? तुम्हारी वजह से हर कोई मेरा मजाक उड़ाता है | तुम मर क्यों नहीं जाती ?' माँ ने कुछ नहीं कहा | पर, मैंने उसी पल तय कर लिया कि बड़ा होकर सफल आदमी बनूँगा ताकि मुझे अपनी एक आँख वाली माँ और इस गरीबी से छुटकारा मिल जाये | उसके बाद मैंने म्हणत से पढाई की | माँ को छोड़कर बड़े शहर आ गया | यूनिविर्सिटी की डिग्री ली | शादी की | अपना घर ख़रीदा | बच्चे हुए | और मै सफल व्यक्ति बन गया | मुझे अपना नया जीवन इसलिए भी पसंद था क्योंकि यहाँ माँ से जुडी कोई भी याद नहीं थी | मेरी खुशियाँ दिन-ब-दिन बड़ी हो रही थी, तभी अचानक मैंने कुछ ऐसा देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी | सामने मेरी माँ खड़ी थी, आज भी अपनी

माँ के मनोभाव

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75 साल की उस बुढ़िया माँ का वजन लगभग 40  किलो होगा !!  आज जब तबियत बिगड़ने पर वो डॉक्टर को दिखाने  गयी !! डॉक्टर ने कहा'माताजी आप हेल्थ काख्याल रखिये !! आप  का वजन जरूरत से ज्यादा कम है !! आप खाने में जूस,  सलाद , दूध , फल , घी , मेवा और हेल्थी फ़ूड लिजियें !!  नहीं तो आपकी सेहत दिनों दिन गिरती जायेगी और  हालत नाजुक हो जायेंगे!!' उसने भारी मन से डॉक्टर की बात को सुना और बाहर  निकल कर सोचने लगी, इतनी महंगाई में ये सब कहाँ से  आएगा......???  और पिछले पचास सालों में, फ्रूट, घी, मेवा घर में  लाया कौन है....??? बहुत ही मामूली पेंसन से जो थोडा बहुत पैसा मिलता है  उससे घर के जरुरी सामान तो पति ले आतें है, लेकिन फल,  जूस, हरी सब्जी, ये सब पतिने कभी ला कर  नहीं दिया,....और खुद भी कभी ये सब खरीदने की हिम्मत  नहीं कर सकी....क्यूंकि जब भी मन करता कुछ खाने का,  खाली पर्स हमेशा मुंह चिढाने लगता.... नागपुर (विदर्भ) जैसे शहर में ... मामूली सी नौकरी में  और जिंदगी की गहमागहमी में सारी जमा पूंजी,  पति का PF , घर की सारी अमानत , संपदा, गहने जेवर  सब एक बेटे और दो बेटियों की परवरिश , पढाई लिखाई  श