Posts

Showing posts from September, 2015

47 आईएएस अधिकारीयों वाला राजपूतों का गांव माधो पट्टी(madho patti village of rajputs which has 47 IAS)

Image
--47 IAS अधिकारी वाला राजपूतों का गांव माधो पट्टी-- जरूर पढ़ें और अधिक से अधिक शेयर करें। आम तौर पर आरक्षण को राजपूत समाज के युवाओं के लिए पैरो की बेड़ियां माना जाता है।लाखों बेरोजगार युवा सिर्फ आरक्षण को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। पर क्या ये पूरा सच है???? जी नहीं ये पूर्ण सत्य नही है।अगर कुरीतियों का त्याग करके कोई समाज सही दिशा में मेहनत करें तो भले ही कितनी भी बेड़ियां और मुश्किलें हमारा रास्ता रोकें पर हमे हमारी मंजिल को पाने से नही रोक सकती। अगर युवा मन लगाकर दिलो जान से परिश्रम करें तो कोई भी लक्ष्य असम्भव नही है। अक्सर राजपूत समाज के युवा अपनी सभी असफलताओं के लिए सिर्फ आरक्षण को जिम्मेदार ठहराते हैं जबकि उनमे से कई अपना लक्ष्य पाने के लिए कोई परिश्रम ही नही करते। वो जरूर पढ़ें और प्रेरणा प्राप्त करें। उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले में सोलंकी (स्वर्णवान सोनवान शाखा) राजपूत बाहुल्य माधोपट्टी एक ऐसा गांव है जहां से कई आईएएस और अफसर हैं। इस गांव में महज 75 घर हैं, लेकिन यहां के 47 आईएएस अधिकारी विभिन्न विभागों में सेवा दे रहे हैं। इस एरिया में सोलंकी राजपूतों के 12 गांव हैं और जौनप

गुजरात के वीर राजपूत - पार्ट 2 (rajputs of gujrat)

Image
तुर्क-मुगल-अफगान हमलावरो को खदेड़ने वाले गुजरात के वीर राजपूत - पार्ट 2 🔸 1 ➡  ठाकोर रणमलजी जाडेजा (खीरसरा) - जूनागढ़ के नवाब ने खीरसरा पर दो बार हमला किया लेकिन रणमलजी ने उसे हरा दिया, युद्ध की जीत की याद मे जूनागढ की दो तोपे खीरसरा के गढ़ मे मौजूद हैँ || 2 ➡ राणा वाघोजी झाला (कुवा) - मुस्लिम सुल्तान के खिलाफ बगावत करी, सुल्तान ने खलिल खाँ को भेजा लेकिन वाघोजी ने उसे मार भगाया, तब सुल्तान खुद बडी सेना लेकर आया, वाघोजी रण मे वीरगति को प्राप्त हुए और उनकी रानीयां सती हुई || 3 ➡ राणा श्री विकमातजी || जेठवा (छाया) - खीमोजी के पुत्र विकमातजी द्वितीय ने पोरबंदर को मुगलो से जीत लिया। वहां पर गढ का निर्माण कराया। तब से आज तक पोरबंदर जेठवाओ की गद्दी रही है || 4 ➡ राव रणमल राठोर (ईडर) - जफर खाँ ने ईडर को जीतने के लिये हमला किया लेकिन राव रणमल ने उसे हरा दिया. श्रीधर व्यासने राव रणमल के युद्ध का वर्णन 'रणमल छंद' मे किया है || 5 ➡ तेजमलजी, सारंगजी, वेजरोजी सोलंकी (कालरी) - सुल्तान अहमदशाह ने कालरी पर आक्रमण किया, काफी दिनो तक घेराबंदी चली, खाद्यसामग्री खत्म होने पर सोलंकीओ ने शाका किया, सुल

जब शरणागत 140 सुमरा-मुस्लिम कन्या को बचाने के लिए जाडेजा राजपुतो ने किया जौहर और शाका...!!!

Image
--जाम अबड़ाजी जाडेजा--- Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास जब शरणागत 140 सुमरा-मुस्लिम कन्या को बचाने के लिए जाडेजा राजपुतो ने किया जौहर और शाका...!!!          बात हे विक्रम सवंत 1356(ई.स. 1309) की तब गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जाडेजा राजपुतो का राज था |कच्छ के वडसर में जाडेजा राजवी जाम अबडाजी गद्दी पर बिराजमान थे | जाम अबडाजी एक महाधर्मात्मा और वीरपुरुष होने की वजह से उनको “अबडो-अडभंग, अबडो अणनमी” नाम से भी जाना जाता था | उस समय सिंध के उमरकोट में हमीर सुमरा(सुमरा परमार वंश की शाखा थे जो धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बन गए थे।अब सिंध पाकिस्तान में हैं) जिसको सोरठ के चुडासमा राजवी रा’नवघन ने अपनी मुँह बोली बहेन जासल का अपहरण करने पर मार डाला था, उसके वंश में धोधा और चनसेर नामके दो मुस्लिम-सुमरा शाशक राज करते थे | इन दोनों भाईओ के बिच में आपसी कलह बहुत चलता रहेता था, जिसकी वजह से छोटे भाई चनसेर ने उमरकोट की गद्दी हथियाने के लिए दिल्ली के शाशक अलाउदिन-खिलजी से जाके कहा की “आपके जनान-खाने के लिए अच्छी सी सुन्दर सुमरी कन्या मैंने राखी हुई थी, पर मेरे भाई धोधे ने मेरा राज्य हथिया ल

जब एक तीतर पक्षी को बचाने के लिए सैंकड़ो सोढा-परमार राजपूतो ने अपने जीवन का बलिदान दे दिया

Image
जब एक तीतर पक्षी को बचाने के लिए सोढा-परमार राजपूतो ने अपने जीवन का बलिदान दे दिया...!!! एक ऐसी अनोखी घटना जिसमे एक क्षत्राणी अपने वीर पुत्र की चिता के साथ सती हुई। “शरणे आयो सोपे नहीं राजपुतारी रीत, धड गिरे पर छोड़े नहीं खत्री होय खचित” अंग पोरस, रसणे अमृत, भुज परचो रजभार  सोढा वण सूजे नहीं होय नवड दातार...|| १ || (सोढा-परमार राजपूतो के हाथ से जो दान मिलता हे, उनकी जीभ से जो अमृत बरसता हे और उनकी भुजाओ में जो ताकत होती हे वैसे और किसी में नहीं होता) बात हे विक्रम सवंत 1214 की जब सिंध के थरपारकर में सतत सात साल तक बारिश न होने की वजह से अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी जिसकी वजह से वहा के परमार राजा रतनसिंह के बेटे लखधीरसिंह अपनी प्रजा और गोचर के साथ पानी की खोज में सौराष्ट्र के वढवान रियासत में मुली गाव के पास आकर रुके | वहा के उस समय के राजवी विशणदेव वाघेला थे | लखधीरसिंह ने उनसे यहाँ पे रुकने के लिए और अपनी गायो के लिए घास चराने की मांग की, विशणदेव वाघेला अति उदार मन के होने के कारण उन्होंने गायो को चराने के साथ साथ वहा आजू-बाजु की सभी ज़मीन उनको रहेने के लिए दे दी |            धीरे धीर

1857 की क्रांति में साठा-चौरासी के राजपूतो का संघर्ष- भाग 2***

Image
ठाकुर गुलाब सिंह तोमर और बागी सपनावत Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास # ‪#‎ अंग्रेज़ो‬  के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में राजपूतो का योगदान भाग-5## ***1857 की क्रांति में साठा-चौरासी के राजपूतो का संघर्ष- भाग 2*** === ठाकुर गुलाब सिंह तोमर और बागी सपनावत === मित्रो पिछली पोस्ट में हमने साठा चौरासी क्षेत्र के धौलाना के राजपूतो के बलिदान के बारे में बताया था। इसके दुसरे भाग में आज हम मुकीमपुर गढ़ी के ठाकुर गुलाब सिंह तोमर और बागी गाँव सपनावत के बारे में बताएंगे। ~~मुकीमपुर गढ़ी के ठाकुर गुलाब सिंह तोमर~~ साठा चौरासी का मुकीमपुर गढ़ी गाँव पिलखुवा के निकट अवस्थित है जो कि तोमर राजपूतो का गाँव है। यहाँ के ठाकुर गुलाब सिंह तोमर बहुत बड़े जमींदार हुआ करते थे और उनका स्थानीय जनता में बहुत प्रभाव और मान सम्मान था। 1858 के विप्लव की शुरुआत के बाद क्षेत्र के राजपूत ग्रामीणों ने भी जमींदार गुलाब सिंह तोमर के नेतृत्व में बगावत कर दी। ठाकुर गुलाब सिंह ने ब्रितानियों को लगान न देने एवं क्रांतिकारियों का साथ देने का निश्चय किया। उन्होंने क्षेत्र वासियों को भी लगान न देने के लिए प्रेरित किया

1857 की क्रांति में उत्तर प्रदेश की साठा-चौरासी के राजपूतो का संघर्ष भाग-1

Image
लाल किले पर केसरिया फहराने वाले राजपूत Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास ===अंग्रेज़ो के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में राजपूतो का योगदान- भाग-4 === ****1857 की क्रांति में साठा-चौरासी के राजपूतो का संघर्ष भाग-1*** ~~लाल किले पर केसरिया फहराने वाले राजपूत~~ ****1857 की क्रांति में साठा-चौरासी के राजपूतो का संघर्ष भाग-1*** (edited on date 02-09-2015) पिछले 4 दिन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दादरी के पास बिसाहदा गाँव में गौ हत्या का मामला देश भर में सुर्खिया बन रहा है। हालाकि इस मामले में अब मीडिया के झूठ और सरकार के पक्षपात पूर्ण रवैय्ये की वजह से मामले को दूसरा रूप दे दिया गया है। यह बिसाहदा गाँव क्षत्रियों के मशहूर साठा चौरासी क्षेत्र का हिस्सा है। इस घटना को लेकर पूरे क्षेत्र में बवाल के हालात हैँ। यहाँ के क्षत्रिय पुलिस से भिड़ने को तैयार हैँ और कई जगह भिड़ंत हो चुकी है। दरअसल सरकारी दमन का डट कर विरोध करने का इस क्षेत्र का इतिहास रहा है। 1857 के संग्राम में भी यहां के क्षत्रियो ने अंग्रेजो के विरुद्ध बढ़ चढ़ कर भाग लिया था। इन क्षत्रियो में गौ रक्षा को लेकर कितना आग्रह है य

1857 की क्रांति के महानायक कुंवर सिंह की महागाथा (VEER KUNVAR SINGH,THE GREATEST FREEDOM FIGHTER)

Image
VEER KUNVAR SINGH,THE GREATEST FREEDOM FIGHTER Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास ===अंग्रेज़ो विरुद्ध स्वाधीनता संग्राम में राजपूतो का योगदान- भाग-3 === मित्रो जैसा कि सभी को पता है कि 1857 के संग्राम में राजपूत अंग्रेज़ो के विरुद्ध संघर्ष में सबसे आगे रहे थे। हमेशा की तरह राजपूतो ने इस संग्राम का नेतृत्व किया था। 1857 का संग्राम, सबसे पहले मुख्यत: एक सैनिक विद्रोह था जिसमे अधिकतर अवध, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के राजपूत सैनिक शामिल थे। इन सैनिको से प्रेरणा लेकर ही इन क्षेत्रो में आम जनता ने अंग्रेज़ो के विरुद्ध बगावत करी। अवध में तो ये बगावत सबसे भीषण थी और समाज के लगभग हर वर्ग ने संग्राम में भाग लिया जिसका नेतृत्व राजपूतो ने किया। अवध, पूर्वांचल और पश्चिम बिहार के राजपूतो ने संग्राम में सबसे सक्रीय रूप से भाग लिया जिसके परिणाम स्वरुप संघर्ष समाप्ति के बाद अंग्रेज़ो ने उनका दमन किया। सिर्फ अवध में ही एक साल के अंदर राजपूतो की 1783 किलों/गढ़ियों को ध्वस्त किया गया जिनमे से 693 तोप, लगभग 2 लाख बंदूके, लगभग 7 लाख तलवारे, 50 हजार भाले और लगभग साढ़े 6 लाख अन्य तरह के हथियारों क

दुल्ला भट्टी एक मुस्लिम राजपूत यौधा जिसकी याद में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है (DULLA BHATI,A MUSLIM RAJPUT WARRIOR)

Image
DULLA BHATI, A GREAT MUSLIM RAJPUT WARRIOR Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास लोहड़ी का पर्व एक मुस्लिम राजपूत योद्धा दुल्ला भट्टी कि याद में पुरे पंजाब और उत्तर भारत में मनाया जाता है , लोहड़ी की शुरुआत के बारे में मान्यता है कि यह राजपूत शासक दुल्ला भट्टी द्वारा गरीब कन्याओं सुन्दरी और मुंदरी की शादी करवाने के कारण शुरू हुआ है. दरअसल दुल्ला भट्टी पंजाबी आन का प्रतीक है. पंजाब विदेशी आक्रमणों का सामना करने वाला पहला प्रान्त था  ।ऐसे में विदेशी आक्रमणकारियों से यहाँ के लोगों का टकराव चलता था . दुल्ला भट्टी का परिवार मुगलों का विरोधी था.वे मुगलों को लगान नहीं देते थे. मुगल बादशाह हुमायूं ने दुल्ला के दादा सांदल भट्टी और पिता फरीद खान भट्टी का वध करवा दिया. दुल्ला इसका बदला लेने के लिए मुगलों से संघर्ष करता रहा. मुगलों की नजर में वह डाकू था लेकिन वह गरीबों का हितेषी था. मुगल सरदार आम जनता पर अत्याचार करते थे और दुल्ला आम जनता को अत्याचार से बचाता था. दुल्ला भट्टी मुग़ल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उस समय पंजाब में स्थान स्थान पर हिन्दू लड़कियों को यौन गुलामी के लि

सतीत्व की अनूठी मिशाल रानी पद्मिनी और गोरा बादल की वीरता

Image
🚩चित्तौड़ की महारानी पद्मनी  त्याग,सतीत्व,प्रेरणा,जौहर और वीरता की अनुपम मिशाल .... समय 13वीं ईस्वी जब चित्तौड़गढ़ लगातार तुर्को के हमले झेल रहा था बाप्पा रावल के वंशजो ने हिंदुस्तान को लगातार तुर्को और मुस्लिम आक्रांताओ को रोके रखा चित्तोड़ के रावल समर सिंह के बाद उनके बेटे रतन सिंह का अधिकार हुआ उनका विवाह रानी पद्धमणि से हुयी जो जालोर के चौहान वंश से थी (कुछ उन्हें सिंहल द्विव कुछ जैसलमेर के पूंगल की भाटी रानी भी बताते है) उस वक़्त जालोरऔर मेवाड़ की कीर्ति पुरे भारत में थे रतन सिंह जी की पत्नी पद्मनी अत्यंत सुन्दर थी इसी वजह से उनकी ख्याति दूर दूर फ़ैल गयी इसी वजह दिल्ली का तत्कालीन बादशाह अल्लाउद्दीन ख़िलजी रानी पद्मनी की और आकर्षित होकर रानी को पाने की लालसा से चित्तोर चला आया और रानी पद्मणि को अपनी रानी बनाने की ठानी अल्लाउद्दीन ख़िलजी की सेना ने चितौड़ के किले को कई महीनों घेरे रखा पर चितौड़ की रक्षार्थ तैनात राजपूत सैनिको के अदम्य साहस व वीरता के चलते कई महीनों की घेरा बंदी व युद्ध के बावजूद वह चितौड़ के किले में घुस नहीं पाया | अंत अल्लाउद्दीन ख़िलजी ने थक हार कर एक योजना बनाई जिसमें अ

स्वतंत्र भारत में सर्वोच्च सैन्य पुरुस्कार प्राप्त करने वाले वीर राजपूत सैनिक

Image
                          हनुतसिंह राठौड़ जो लोग आजकल राजपूतों के शौर्य बलिदान और वीरता पर सवाल उठाते है और हमे गुजरे हुए कल की बात बताते हैं वो जान लें कि स्वतंत्र भारत में भी सबसे ज्यादा सैन्य पुरुस्कार जिस समाज ने जीते हैं वो राजपूत समाज के वीर सैनिको ने जीते हैं। ----परमवीर चक्र: सर्वोच्च सैन्य सम्मान----- # राजपूत जिन्हे परमवीर चक्र से नवाजा गया है- 1. नायक जादुनाथ सिंह राठौड़ 2. हवलदार पीरु सिंह शेखावत 3. कप्तान गुरुबचन सिंह सलारिया 4. मेजर शैतान सिंह भाटी 5. राइफल मैन संजय कुमार डोगरा # राजपूत जिन्हे महावीर चक्र से नवाजा जा चुका है - 1. ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह डोगरा 2. सिपाही दीवान सिंह 3. मेजर खुशाल चंद 4. लेफ्टिनेंट किशन सिंह राठौर 5. ब्रिगेडियर यदुनाथ सिंह भाटी 6. मेजर ठाकुर पृथि चन्द 7. राइफलमैन धोकल सिंह 8. नाइक नर सिंह 9. लेफ्टिनेंट कर्नल कमल सिंह पठानिया 10. लेफ्टिनेंट कर्नल अनंत सिंह पठानिया 11. लेफ्टिनेंट भगवान् दत्त डोगरा 12. ब्रिगेडियर शेर प्रताप सिंह श्रीकंठ 13. राइफलमैन जसवंत सिंह 14. कप्तान चन्दर नारायण सिंह 15. लेफ्टिनेंट कर्नल रघुबीर सिंह राजावत 16. मेजर अनूप सिंह

गणगौर पर्व--GANGAUR FESTIVAL ,THE INTEGRAL PART OF RAJPUTANA CULTURE

Image
गणगौर नामक त्यौहार राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरयाणा, गुजरात के कई क्षेत्रो में बहुत लोकप्रिय है लेकिन राजपूत स्त्रियों के लिये इसका विशेष महत्व है और राजपूत समाज में यह पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जाता है । Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास गणगौर पर्व - मित्रो राजपूत समाज अपनी विशेष रीती रिवाज और संस्कृति के लिये जाना जाता है। राजपूत हिन्दू समाज के सिरमौर है इसलिये बाकी जातीया भी राजपूत संस्कृति को आदर्श के रूप में देखती हैँ। राजपूतो में साल भर में कई तरह के त्यौहार मनाते हैँ और राजपूतो में इनको विशेष तरीको और शानो शौकत के साथ मनाया जाता है। ऐसे ही एक गणगौर नामक त्यौहार के महत्व से आपका परिचय आज कराएंगे जो राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरयाणा, गुजरात के कई क्षेत्रो में बहुत लोकप्रिय है लेकिन राजपूत स्त्रियों के लिये इसका विशेष महत्व है और राजपूत समाज में यह पर्व बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। गणगौर एक प्राचीन त्यौहार है जिसमे शिव जी के अवतार के रूप में गण(ईसर) और पार्वती के अवतार के रूप में गौरा माता का पूजन किया जाता है। यह होली के तीन बाद से शुरू होता है और 18 दिन तक चलता है जिसमे