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गौरी और पृथ्वीराज का युद्ध

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गौरी और पृथ्वीराज का युद्ध किंवदंतियों के अनुसार गौरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था, जिसमें 17 बार उसे पराजित होना पड़ा। किसी भी इतिहासकार को किंवदंतियों के आधार पर अपना मत बनाना कठिन होता है। इस विषय में इतना निश्चित है कि गौरी और पृथ्वीराज में कम से कम दो भीषण युद्ध आवश्यक हुएथे, जिनमें प्रथम में पृथ्वीराज विजयी और दूसरे में पराजित हुआ था।वे दोनों युद्ध थानेश्वर के निकटवर्ती तराइन मै  पृथ्वीराज की सेना कहा जाता है कि पृथ्वीराजकी सेना में तीन सौ हाथी तथा 3,00,000 सैनिक थे, जिनमें बड़ी संख्या में घुड़सवार भी थे। दोनों तरफ़ की सेनाओं की शक्ति के वर्णन में अतिशयोक्ति भी हो सकती है। संख्या केहिसाब से भारतीय सेना बड़ी हो सकती है, पर तुर्क सेना बड़ी अच्छीतरह संगठित थी। वास्तव में यह दोनों ओर के घुड़सवारों का युद्ध था। मुइज्जुद्दीन की जीत श्रेष्ठ संगठन तथा तुर्की घुड़सवारों की तेज़ी और दक्षता के कारण ही हुई। भारतीय सैनिकबड़ी संख्या में मारे गए।तुर्की सेनाने हांसी, सरस्वती तथा समाना के क़िलों पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बादउन्होंने अजमेर पर चढ़ाई की और