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Showing posts from June, 2015

पायरिया का आयुर्वेदिक उपचार

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अगर आप खाना खाने के बाद दांतों की साफाई ठीक ढंग से नहीं करते हैं तो आपको पायरिया जैसी घातक बीमारी होने की संभावना हो सकती है। मुंह से गंदी बदबू आना, दांतों में दर्द और मसूड़ों में सूजन और खून आना पायरिया के लक्षण हो सकते हैं। अगर पायरिया को रोका ना गया तो इस बीमारी की वजह से आपके पूरे दांत गिर सकते हैं। कई लोग ब्रश तो अच्‍छी तरह से कर लेते हैं मगर जब बात जीभ को साफ करने की आती है तो, वह उसे ऐसे ही छोड़ देते हैं, जिससे मुंह में बैक्‍टीरिया पनपने लगते हैं। यह भी पायरिया होने का एक बड़ा कारण है। मुंह के छाले से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय मगर ऐसा नहीं है कि किसी भी बीमारी का कोई इलाज नहीं होता। पायरिया का भी इलाज है और वो भी आयुर्वेदिक उपचार। समय रहते ही इसका इलाज आयुर्वेदिक तरीके से कर लेना चाहिये नहीं तो मसूड़ों में सड़न की वजह से सारे दांत सड़ चुके होगें। आइये देखते हैं पायरिया का आयुर्वेदिक उपचार क्‍या कहता है। दंत स्वास्थ्य: स्वस्थ मसूड़ों के लिए टिप्स नीम: नीम की पत्‍तियों को धो कर छाया में सुखा लें और फिर उसे एक बत्रन में रख कर जला लें। जब पत्‍तियां जल जाएं तब बर्तन को ढंक दें और फि

राजपूतो को इतिहास.(झिनझिनयाली)दक्षिणी बसिया कुछ अलिखित इतिहास -राजपूत जातियो की सूची

राजपूत जातियो की सूची # क्रमांक नाम गोत्र वंश स्थान और जिला १. सूर्यवंशी भारद्वाज सूर्य बुलन्दशहर आगरा मेरठ अलीगढ २. गहलोत बैजवापेण सूर्य मथुरा कानपुर और पूर्वी जिले ३. सिसोदिया बैजवापेड सूर्य महाराणा उदयपुर स्टेट ४. कछवाहा मानव सूर्य महाराजा जयपुर और ग्वालियर राज्य ५. राठोड कश्यप सूर्य जोधपुर बीकानेर और पूर्व और मालवा ६. सोमवंशी अत्रय चन्द प्रतापगढ और जिला हरदोई ७. यदुवंशी अत्रय चन्द राजकरौली राजपूताने में ८. भाटी अत्रय जादौन महारजा जैसलमेर राजपूताना ९. जाडेचा अत्रय यदुवंशी महाराजा कच्छ भुज १०. जादवा अत्रय जादौन शाखा अवा. कोटला ऊमरगढ आगरा ११. तोमर व्याघ्र चन्द पाटन के राव तंवरघार जिला ग्वालियर १२. कटियार व्याघ्र तोंवर धरमपुर का राज और हरदोई १३. पालीवार व्याघ्र तोंवर गोरखपुर १४. परिहार कौशल्य अग्नि इतिहास में जानना चाहिये १५. तखी कौशल्य परिहार पंजाब कांगडा जालंधर जम्मू में १६. पंवार वशिष्ठ अग्नि मालवा मेवाड धौलपुर पूर्व मे बलिया १७. सोलंकी भारद्वाज अग्नि राजपूताना मालवा सोरों जिला एटा १८. चौहान वत्स अग्नि राजपूताना पूर्व और सर्वत्र १९. हाडा वत्स चौहान कोटा बूंदी और हाडौती देश २०. खींची

THE STRUGGLE BETWEEN TOMARS OF DELHI AND TURKS

======दिल्ली के तंवर/तोमर राजपूत वंश का तुर्कों के विरुद्ध संघर्ष====== Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास भारत पर इस्लामिक आक्रमण सन 632 ईस्वी में मौहम्मद साहब की मृत्यु के उपरांत छ: वर्षों के अंदर ही अरबों ने सीरिया,मिस्र,ईरान,इराक,उत्तरी अफ्रीका,स्पेन को जीत लिया था और उनका इस्लामिक साम्राज्य फ़्रांस के लायर नामक स्थान से लेकर भारत के काबुल नदी तक पहुँच गया था,एक दशक के भीतर ही उन्होंने लगभग समूचे मध्य पूर्व का इस्लामीकरण कर दिया था और इस्लाम की जोशीली धारा स्पेन,फ़्रांस में घुसकर यूरोप तक में दस्तक दे रही थी,अब एशिया में चीन और भारतवर्ष ही इससे अछूते थे. सन 712 ईस्वी में खलीफा के आदेश पर मुहम्मद बिन कासिम के नेत्रत्व में भारत के सिंध राज्य पर हमला किया गया जिसमे सिंध के राजा दाहिर की हार हुई और सिंध पर अरबों का अधिकार हो गया,इस युद्ध में सिंध की जाट जाति ने भी अरबो का साथ दिया था क्योंकि सिंध में जाटों के साथ अछूत जैसा बर्ताव होता था,किन्तु इसका उन्हें कोई लाभ नहीं मिला क्योंकि विजेता अरबों ने भी वही सामाजिक व्यवस्था बनाये रखी. अरबों ने इसके बाद भारत के भीतरी इलाको में र

RAJPUTS AND PURE KSHTRIYA BLOOD

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--- इतिहास कि अनोखी प्रेम कहानी और क्षत्रियों में रक्त की शुद्धता बनाए रखने के संकल्प का उत्तम उद्धारण --- Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास ये चित्र ग्वालियर के गूजरी महल का है जो इतिहास कि शानदार इमारतो में से एक हैं । राजपूत राजा राजा मान सिहं तोमर और गुज्जर जाति कि एक आम लडकी ' मृगनयनी ' की । उन दिनों अक्सर मुगलों के आक्रमण होते रहते थे। सिकन्दर लोदी और गयासुद्दीन खिलजी ने कई बार ग्वालियर के किले पर धावा किया, पर वे सफल न हो सके। तब उन्होने आसपास के गांवो को नष्ट कर उनकी फसलें लूटना शुरू कर दिया। उन्होने कई मन्दिरों को तोड-फोड डाला और लोगों को इतना तंग किया कि वे हमेशा भयभीत बने रहते। खासकर स्त्रियों को बहुत ही भय रहता। उन दिनों औरतों का खूबसूरत होना खतरे से खाली न रहता। कारण, मुगल उनपर आंखें लगाए रहते थें। गांवों की कई सुन्दर, भोली लडकिंया उनकी शिकार हो चुकी थी। ऐसे समय में ग्वालियर के पास राई नामक गांव में एक गरीब गुज्जर किसान के यंहा निन्नी नामक एक सुन्दर लडकी थी। सिकन्दर लोदी के आक्रमण के समय उसके माता-पिता मारे गए थें और अब एक भाई के सिवा उसका संसार में क

THE BRANCHES OF GREAT TANWAR VANSH

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THE BRANCHES OF GREAT TANWAR VANSH Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास मित्रों तंवर वंश से सम्बंधित पिछली दो पोस्ट में हम तंवर वंश की उत्पत्ति और हल्दीघाटी युद्ध में तोमर राजपूतो की वीरता से अवगत करा चुके हैं. आज हम आपको तंवर/तोमर वंश की शाखाओं से अवगत करवाएँगे। तंवर वंश को अर्जुनायन वंश भी कहा गया है.इसकी 22 मुख्य शाखाएँ है जो पूरे उत्तर एवं मध्य भारत में फैलीं हुई है। तवंर वंश के मूल पुरुष पांडूपुत्र अर्जुन के पौत्र परीक्षित जी को बताया जाता है। तंवर वंश की 22 प्रमुख शाखाएं इस प्रकार है..... ==========जावला तंवर =========== जावला या अनंगपाल के वंशज जावला तंवर कहलाए,रुनेचा,असील जी के तंवर,जाटू,सांपला(सिम्पल) आदि इनकी शाखाएँ हैं,सांपला(सिम्पल),रुनेचा जैसलमेर में मिलते हैं,लोकदेवता रामदेव इसी रुनेचा शाखा से थे, ========ग्वालेरा तंवर============== दिल्ली छूटने के बाद ग्वालियर पर शासन करने के कारण यहाँ के तोमर ग्वालेरा कहलाए ===========जाटू तंवर ============== जाटू तंवर राजपूत वंश राजा अंगपाल द्वितीय के पौत्र व राजा शालीवाहन तंवर के पुत्र राव जैरथ जी जिन्हे जाटू जी कहा जाता था