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Showing posts from October, 2015

पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत(The legendary Bhairo singh Shekhawat ji)

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आज क्षत्रिय समाज के पुरोधा देश के पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत जी की जयंती है। स्वर्गीय भैरो सिंह जी की गणना स्वतंत्र भारत के सर्वाधिक योग्य और महान राजनेताओं में की जाती है।वे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एक थे। =============== ========= जीवन परिचय---- भैरोंसिंह शेखावत जी का जन्म 23 अक्टूबर 1923 ईस्वी को तत्कालिक जयपुर रियासत के गाँव खाचरियावास में हुआ था। यह गाँव अब राजस्थान के सीकर जिले में है। इनके पिता का नाम श्री देवी सिंह शेखावत और माता का नाम श्रीमती बन्ने कँवर था। गाँव की पाठशाला में अक्षर-ज्ञान प्राप्त किया। हाई-स्कूल की शिक्षा गाँव से तीस किलोमीटर दूर जोबनेर से प्राप्त की, जहाँ पढ़ने के लिए पैदल जाना पड़ता था। हाई स्कूल करने के पश्चात जयपुर के महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया ही था कि पिता का देहांत हो गया और परिवार के आठ प्राणियों का भरण-पोषण का भार किशोर कंधों पर आ पड़ा, फलस्वरूप हल हाथ में उठाना पड़ा। बाद में पुलिस की नौकरी भी की; पर उसमें मन नहीं रमा और त्यागपत्र देकर वापस खेती करने लगे। इनकी पत्नी का नाम सूरज कंवर और एकमात्र संतान पुत्री रतन कँ

एक मन्दिर जहाँ अंग्रेजों के सिर को काटकर माँ भवानी के चरणों में चढ़ाता था वीर राजपूत बंधू सिंह श्रीनेत(BANDHU SINGH SHRINET_THE GREAT RAJPUT FREEDOM FIGHTER)

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BANDHU SINGH SHRINET_THE GREAT RAJPUT FREEDOM FIGHTER) स्वतंत्रता संग्राम में राजपूतों का योगदान---- ====गोरखपुर जिले मे माता तरकुल्हा देवी का मंदिर जहां अंग्रेजो के सिर को काटकर मां भवानी के चरणो मे चढाया जाता था === मित्रो आज हम बात कर रहे है #बाबू_बंधू_सिंह  जी की जिनके प्राक्रम और प्रताप का गुणगान आज भी गोरखपुर मे किया जाता है। बाबू बंधू सिंह गोरखपुर में डुमरी रियासत के थे। ये श्रीनेत वंशी राजपूत थे।।। गोरखपुर में चौरा चोरी गांव से कुछ ही दूरी पर "माता तरकुल्हा देवी" का पवित्र मंदिर है। इस इलाके में जंगल हुआ करता था जिसमे बाबू बंधू सिंह रहा करते थे उनकी रियासत डुमरी वहीँ थी,और अपनी इष्ट देवी तरकुलहा देवी की उपासना में लीन रहते थे। बात 1857 से पहले की है। बाबू बंधू सिंह के दिल में बचपन से ही अंग्रेजो के खिलाफ बहुत रोष था। वो गुरिल्ला लड़ाई में माहिर थे इसलिए जब भी मौका मिलता वो अंग्रेजो को मार कर, सर काट कर माता के चरणो मे अर्पित कर देते। दिन प्रतिदिन अंग्रेज अफसरों को गायब होते हुए देखकर अंग्रेज बहुत चिंतित हुए और अपनी बडी फौज के साथ उन पर आक्रमण कर दिया ! बाबू बंधू सिंह ज

आधुनिक वीर शिरोमणि,क्षत्रिय हृदय सम्राट "शेर सिंह राणा" की सम्पूर्ण जीवन गाथा

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जय भवानी,जय राजपूताना------------- ----आधुनिक वीर शिरोमणि क्षत्रिय हृदय सम्राट "शेर सिंह राणा" की सम्पूर्ण जीवन गाथा---- कृपया पूरा पढ़ें और अधिक से अधिक शेयर करें। राजपूतों और समस्त भारतवर्ष के सम्मान के लिए खुद को किया न्यौछावर------ Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास परिचय------ शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था।इनका बचपन का नाम पंकज सिंह पुंडीर था।इनकी शिक्षा दीक्षा रुड़की और देहरादून में हुई थी। शेर सिंह राणा के पिता ठाकुर सुरेन्द्र सिंह राणा रुड़की के सबसे बड़े जमीदारो में एक थे।इनकी माता सत्यवती बेहद धार्मिक विचारों की महिला हैं और वो बचपन से ही शेरसिह को क्षत्रिय वीरो की कहानियां सुनाया करती थी।जिनसे प्रेरित होकर उनके मन में बचपन से ही कुछ बड़ा करने की भावना पनपने लगी। डकैत फूलन द्वारा 22 निर्दोष राजपूतों की हत्या--------- वर्ष 1981 में एक ऐसी लोमहर्षक घटना घटी जिसने पुरे देश विशेसकर पुरे क्षत्रिय समाज को झकझोर कर रख दिया।उत्तर प्रदेश के कानपूर इलाके में बेहमई गांव में डकैत फूलन ने अपने साथियों के साथ मिलकर 22 ठाकुरो को मार दिय

SHOOTER BAISA_APOORVI CHANDELA

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‪ Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास THE LEGEND OF RAJPUTANA_ APOORVI CHANDELA BAISA #‎ अपूर्वी_चंदेला‬  देश का उभरता हुआ नाम  अपूर्वी चंदेला का जन्म जयपुर में कुलदीप सिंह जी ये घर हुआ जो एक सफल होटल व्यवसाईं है अपूर्वी चंदेला भारत की एक राष्ट्रीय शूटर है इन्होंने बहुत ही कम उम्र में सफलता के झंडे गाड़े है ये अगले ओलम्पिक के लिए क्वलिफाईड कर चुकी है वही TOI के टॉप युवा प्रतिभाओ में इनको स्थान मिला कॉमन वेल्थ गेम 2014 ग्लासगोमें 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग इवेंट में 206.7 का स्कोर बनाकर भारत को दूसरी बार निशानेबाजी में स्वर्ण पदक दिलाया। अपूर्वी चंदेला ने इतिहास रच कर जर्मनी मे अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग में भारत को कांस्य पदक जिताया..... वही अपूर्वी ने ISSF World Cup म्यूनिख में निशानेबाजी में अपूर्वी चंदेला ने देश के लिए जीता रजत पदक अपूर्वी लगातार 3 साल से 10 मीटर शूटिंग में नैशनल चेम्पियन है,इन्हें हाल ही में अगस्त 2016 में अर्जुन अवार्ड मिला है। इनका परिवार हिमाचल के बिलासपुर राजपरिवार के चंदेला वंश से तालुक रखता है वहा से इनके पर दादा जी उठ कर उदयपुर आ गए थे वहा ये लीगल एडवाईज

HISTORY CHEATERS_ FAKE KSHATRIYAS OF INDEPENDANT INDIA

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Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास HISTORY CHEATERS_ FAKE KSHATRIYAS OF INDEPENDANT INDIA   मित्रों जब आरक्षण का कटोरा हाथ में होता है तब तो वर्णसंकर जातियां चाण्डाल और न जाने क्या क्या बताते है अपने पूर्वजों को और जब वंश वर्ण और कुल की बात आती है तो ये जातियां समस्त आदर्श क्षत्रियों को अपना पूर्वज बताने लगते हैं। अहीर पिछले सिर्फ 90-100 साल से जबरदस्ती चन्द्रवंशी वासुदेव श्री कृष्ण को अपना पूर्वज कहकर यादव लिखने लगे,ग्वाल,गोप,अ हीर,अहर,कमरिया, घोसी ,जैसी कई अलग अलग जातियों ने मिलकर सन 1915 के आसपास खुद को अचानक से यादव घोषित कर दिया जबकि यादव राजपूतों का एक कुल है जिसके करौली के जादौन, जाधव ,जैसलमेर के भाटी ,गुजरात के जाडेजा और चुडासमा छोकर राजपूत असली वंशज है । कुर्मी कोयरी काछी माली कुनबी पिछले 50 साल से ही अपने को सूर्यवंशी श्री राम पुत्र कुश के वंशज घोषित करते है जबकि कछवाह ,राघव ,सिकरवार,बडगुजर ,पुंडीर आदि राजपूत कुल उनके असली वंशज है ।  अनेको दलित और यूपी के मुराव मुराई जाति के लोग 40 साल से मौर्य वंश के टाइटल यूज़ करने लगे है जबकि मौर्य वंश सूर्यवंश के महाराज मान्धा

KUMBHALGADH_ A TRUE LEGACY OF RAJPUTANA

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राजपूताने की शान- कुम्भलगढ़ का किला Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास 1. कुम्भलगढ़ का निर्माण 15वीं सदी में महाराणा कुंभा ने किया था। मेवाड़ के 84 में से 32 किलो को महाराणा कुंभा ने बनवाया जिनमे यह सबसे बड़ा और अजेय दुर्ग है। 2. कुम्भलगढ़ किले को देश का सबसे मजबूत दुर्ग माना जाता है जिसे आज तक सीधे युद्ध में जीतना नामुमकिन है। गुजरात के अहमद शाह से लेकर महमूद ख़िलजी सभी ने आक्रमण किया लेकिन कोई भी युद्ध में इसे जीत नही सका। 3. यह चित्तौरगढ़ के बाद सबसे बड़ा दुर्ग है। 4. इसकी परकोटे की दीवार लंबाई में दुनिया में चीन की दीवार के बाद दुसरे स्थान पर है। इसकी लंबाई 38 किलोमीटर है और इसे भारत की महान दिवार भी कहा जाता है। 5. कुम्भलगढ़ के निर्माण के वक्त आने वाली बाधाओ को दूर करने के लिये सबसे पहले इस स्थान पर एक राजपूत योद्धा की स्वेछिक नर बलि दी गई थी। 6. कुम्भलगढ़ मेवाड़ के महाराणाओं की शरणस्थली रहा है। विपत्तिकाल में हमेशा महाराणाओं ने इस दुर्ग में शरण ली है। यही पर महाराणा उदय सिंह को छिपाकर सुरक्षित रखा गया और उनका पालन हुआ। 7. इसी दुर्ग में हिंदुआ सूर्य महाराणा प्रताप का जन्म हुआ। उ

UNIQUE SOLDIER OF LOHARU STATE

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क्षत्रियों की संगत में कुत्ते भी सिंह बन जाते हैँ Rajputana Soch महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक,शुभरक और हाथी रामप्रसाद के बारे में सब जानते हैं लेकिन इस बहादुर कुत्ते के बारे में बहुत कम लोगो को पता होगा.... हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे कुत्ते की कहानी जिसने जंग के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। यूं तो कुत्ते वफादारी के लिये जाने जाते हैँ और आपने कई तरह के कुत्तों की वफादारी की कहानी सुनी होगी लेकिन इस कुत्ते ने वो काम किया जिसकी वजह से इसका नाम इतिहास में पन्नों पर दर्ज हो गया है। यह बात है लोहारू रियासत की !!! -----लोहारु रियासत------ वर्तमान में लोहारू जिला हरियाणा में भिवानी का एक उपमंडल मुख्यालय है। जनश्रुति के अनुसार काफी समय पूर्व इस क्षेत्र में काफी संख्या में लोहार निवास करते थे। उस समय इसे लोहारगढ़ कहा जाता था जो बाद में लोहारू हो गया। लोहारू में कई प्राचीन भवन, किले व मंदिर आदि भी हैं। लोहारू में एक समय शेखावत राजपूतो का राज था और यह शेखावटी का हिस्सा होता था, बाद में यह अलवर रियासत का हिस्सा भी रहा। लोहारू में शेखावत राजपूत राज्य की स्थापना और किले का निर्माण 15

ANJNA BHADAURIYA_ THE FIRST LADY OFFICER TO WIN A GOLD MEDAL IN INDIAN ARMY

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भारतीय सेना में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली प्रथम महिला अंजना सिंह भदौरिया Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास आजकल देश में चहुंओर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की चर्चा है. पिछले दिनों गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार तीनों सेनाओं की नारी शक्ति का दबदबा रहा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सेना में स्वर्ण पदक पानेवाली सबसे पहली महिला कौन थी? आइए जानें सेना की पहली बैच की अफसर अंजना भदौरिया और उन चुनौतियों को, जिनसे पार पाकर उन्होंने यह शानदार उपलब्धि हासिल की. और बीते दो दशकों में महिलाओं के लिए कितनी बदली है सेना! बात सन 1992 की है, जब माइक्रोबायोलॉजी  में मास्टर्स की डिग्री लेने के बाद अंजना भदौरिया चंडीगढ़ स्थित एक फार्मास्यूटिकल कंपनी में काम कर रही थीं. उन्हीं दिनों सेना में पहली बार महिला अफसरों की बहाली के लिए वीमेन स्पेशल एंट्री स्कीम का विज्ञापन निकला. इस विज्ञापन पर अंजना की भी नजर गयी और उन्होंने इसके लिए आवेदन कर दिया. अंजना की खुशकिस्मती थी कि वह भारतीय थल सेना के महिला कैडेटों के पहले बैच के लिए चुन भी ली गयीं. सेना के लिए उन्होंने 10 सालों तक काम किया. इस दौरान

बिहार विधानसभा चुनाव में राजपूतों की भूमिका (rajputs of bihar)

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बिहार विधानसभा चुनाव में राजपूतों की भूमिका------- मित्रों बिहार में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है , इस बार का चुनाव राष्ट्रिय राजनीती के लिए भी बेहद अहम और निर्णायक सिद्ध होने जा रहा है , मोदी लहर की इस बार बेहद कठिन परीक्षा भी होने जा रही है और साथ ही साथ उनके विपक्षी लालू प्रसाद यादव और नितीश कुमार भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं , इस बार अगर बीजेपी हार गयी तो उसकी पुरे देश भर में उलटी गिनती शुरू हो जाएगी और बीजेपी के अंदर भी मोदी विरोधी एक बार फिर से उन पर हावी होकर सत्ता परिवर्तन की मांग कर सकते हैं , बिहार चुनाव में अगर बीजेपी हार जाती है तो फिर वो अगली बार उत्तर प्रदेश , पंजाब , बंगाल में भी नहीं जीत पाएगी , वहीं अगर लालू-नितीश का महागठबंधन हार गया तो उनकी राजनीती समाप्त हो जाएगी और इससे दबंग और नवसामंतवादी पिछड़ों के वर्चस्व की राजनीती को भी गहरा अघात होगा और सवर्णों को बिहार में कुछ राहत की सांस मिल सकती है , राजनितिक दलों के अलावा बिहार चुनाव में विभिन्न सामाजिक वर्गों का  भविष्य भी दांव पर लगा हुआ है , लालू प्रसाद यादव ने इसे अगड़े पिछड़ों की जंग का रूप दे दिया है और