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Showing posts from May, 2016

मुरैना जिला की तंवरघार का एक ऐतिहासिक कुआँ जिसका पानी पीने से ही इन ग्रामीणों के अंदर आत्मसम्मान स्वाभिमान का भाव पैदा हो जाता है।

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  मुरैना जिला की तंवरघार का एक ऐतिहासिक कुआँ जिसका पानी पीने से ही इन ग्रामीणों के अंदर आत्मसम्मान स्वाभिमान का भाव पैदा हो जाता है। **साधारण नहीं था 100 साल पुराने इस कुएं का पानी, 2 महीने अंग्रेज थे परेशान** मुरैना जिले की पोरसा के तहसील के ग्राम कौंथर का नाम आते ही उस प्राचीन कुएं की यादें दिमाग में उभर आती हैं, जिसके बारे में अभी तक यह कहा जाता था कि जो भी इस कुएं का पानी पीता है, उसके अंदर आक्रोश उत्तेजना पैदा हो जाती है और लोग एक-दूसरे को मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। मगर हकीकत इसके विपरीत है। कौंथर के प्राचीन कुएं का पानी उत्तेजित करने वाला नहीं बल्कि स्वाभिमान आत्मसम्मान का भाव पैदा करने वाला था। कौंथर गांव में स्थित माता मंदिर के पुजारी आशाराम (70) बताते हैं कि तकरीबन 100 वर्ष पूर्व कौंथर गांव के तीन बागी भाइयों भूपसिंह तोमर, जिमीपाल तोमर और मोहन सिंह तोमर ने नागाजी धाम के महाराज कंधरदास के प्रयासों से बीहड़ों का रास्ता छोड़कर गौ हत्या रोकने का संकल्प लिया। इसी संकल्प के साथ तीनों भाइयों ने ग्वालियर मुरार के कसाईखाने पर हमला बोल दिया, जहां गौवंश को काटकर मांस का निर्यात

NAYAK NEERAJ KUMAR SINGH RAGHAV नायक नीरज कुमार सिंह राघव

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NAYAK NEERAJ KUMAR SINGH RAGHAV नायक नीरज कुमार सिंह राघव   मित्रों बहुत हर्ष के साथ जानकारी देना चाहेंगे कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राइफल के नायक नीरज कुमार सिंह राघव को मरणोपरांत शांतिकाल में दिए जाने वाले देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया जाएगा। आइए देश के इस वीर बेटे से जुड़ी पांच बातें जानें-: 1: देश के वीर सपूत नीरज कुमार सिंह का जन्‍म उत्‍तर प्रदेश के बुलंदशहर के देवराला गांव में हुआ था। 2: नीरज 57 राष्ट्रीय रायफल में तैनात थे। 3: शहीद नीरज सामान्‍य परिवार से थे, वो राघव (बडगूजर राजपूत) वंश से थे।उनकी स्‍कूली पढ़ाई गांव के स्‍कूल से ही हुई थी। उनके भाई का नाम सतीश राघव है। 4: 2014 के 24 अगस्त को कुपवाड़ा के गुरदाजी सेक्टर में नायक नीरज सिंह के गश्ती दल पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया, जिसमें एक जवान बुरी तरह घायल हो गया। नीरज ने अपनी जान की परवाह न करते हुए ग्रेनेड हमला कर रहे उस आतंकी को मार गिराया, जबकि दूसरे दहशतगर्द ने इस बहादुर जवान के सीने में गोली मार दी। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद नीरज सिंह उस आतंकवादी से दौड़ कर भिड़ गए,

वीर कान्हड़देव सोनगरा,जिन्होंने अलाउद्दीन ख़िलजी से छीनी सोमनाथ मन्दिर की लूटी हुई मूर्तियां और बनवाया भव्य मन्दिर

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=== वीर कान्हड़देव सोनगरा,जिन्होंने अलाउद्दीन ख़िलजी से छीनी सोमनाथ मन्दिर की लूटी हुई मूर्तियां और बनवाया भव्य मन्दिर === VEER KANHARDEV SONIGARA जालौर के वीर कान्हड़देव सोनीगरा जिन्होंने अल्लाउद्दीन ख़िलजी से छीनी सोमनाथ मंदिर से लूटी हुयी मुर्तिया और बनवाया भव्य मंदिर राजपुताना हमेशा धर्म की रक्षा में आगे रहा है कण कण में वीरो का बलिदान है ऐसा कोई गाव नही जहा राजपूत झुंझार की देवालय छतरिया न हो वक़्त 12वीं शताब्दी जब भारत तुर्को के जिहादी हमले झेल रहा था उसी समय जालौर में चौहानो  की शाखा सोनीगरा में महाराजा सामंत सिंह के यहाँ जन्म हुआ वीर कान्हड़देव का जो आगे चल कर जालौर के राजा बने उनके कुशल नेतृत्व में जालौर की सीमाये सुदृढ़ हुयी और कान्हड़देव जी स्वर्णगिरी दुर्ग से राज्य चलने लगे राज्य में एक से बढ़ कर एक योद्धा थे उसी समय अल्लाउद्दीन ख़िलजी ने गुजरात में आक्रमण किया और बहुत मार काट मचाई उसने हिन्दुओ के 12 ज्योतीर्लिंग में से एक सोमनाथ महादेव के मंदिर को 1298 ईस्वी में पुनः लूटा और हजारो लोगो को गुलाम बना कर अल्लाउद्दीन ख़िलजी की सेना ने सेनापति उलुग खा के साथ उत्तर की तरफ रुख किया   गुजरात

===महान राजपूत व्यक्तित्व स्व. ठाकुर मेघनाथ सिंह शिसौदिया===

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मित्रों आज राजपूताने की एक महान हस्ती से आपका परिचय कराएंगे जो आधुनिक युग में राजपूतो के लिये प्रेरणास्त्रोत हैँ। इन हस्ती का नाम है ठाकुर मेघनाथ सिंह शिशोदिया जिन्हें साठा शिरोमणी भी कहा जाता है। साठा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गहलोत/शिशोदिया राजपूत बाहु ल्य इलाका है जहाँ इनके 60 गाँव हैँ। ठाकुर मेघनाथ सिंह जी को मशहूर शिक्षाविद् ,समाज सुधारक और अपने समय के बहुत ईमानदार एवं जबरदस्त विकास कराने वाले नेता के रूप में याद किया जाता है। ग्रामीण और सामाजिक विकास में रूचि रखने के कारण उन्होंने साठा क्षेत्र के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राजपूत बाहुल्य क्षेत्र में अनेक शिक्षण संस्थाओ की स्थापना करी जिसमे स्कूल, कॉलेज, आई टी आई, डिप्लोमा, वोकेशनल कोर्सेज के संस्थान शामिल हैँ। इनके द्वारा उन्होंने हजारो युवाओ को रोजगार दिया। विधायक रहते हुए साठा क्षेत्र का अद्वितीय विकास कराया जिसके लिये इस क्षेत्र के सबसे बड़े व्यक्तित्व के रूप में आज भी वो याद किये जाते हैँ और उन्हें साठा शिरोमणी कहा जाता है। ठाकुर साब का जन्म 1 अप्रैल 1913 को जिला गाज़ियाबाद में साठा क्षेत्र के रसूलपुर डासना गाँव में ठाकुर नारायण

राजपूताना की बेटियां सबसे आगे Girls From Rajputana.... Baisa's Lobby (Army,Sports and Politics)

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🔫 Sneha Shekhawat - Pilot,Indian Air Force (Create History on date 26 jan 2012 by becoming  the 1st Indian Lady Officer who lead Indian Air Force contingent in Republic day parade) स्नेहा शेखावत - पायलट, भारतीय वायु सेना (26 जनवरी 2012 को इतिहास रचा. गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय वायु सेना दल का नेतृत्व करनी वाली पहली महिला अफसर बनी ) 🔫 Deepika Rathore - Major,Indian Army (Captain Deepika Rathore, 26(2012), became the Rajasthans first girl to scale Mount Everest. ) दीपिका राठौड़ - मेजर, भारतीय सेना (भारतीय सेना की कैप्टन दीपिका राठौड़, माउंट एवरेस्ट को फ़तेह किया. ऐसा करने वाली राजस्थान राज्य की पहली लड़की बन गयी। जहा 100 में से 90 लोग वापस आ जाते है उसे रेगिस्तान से निकली एक राजपूतानी मात्र 26 वर्ष की आयु में पूरा कर आई ) 🔫 Swati Rathore - Captain,Indian Army (Only woman officer in entire brigade guarding china front) स्वाति राठौड़ - कैप्टन भारतीय सेना (भारतीय सेना की एक मात्र महिला अफसर जो सर्वाधिक उचाई पर तैनात है. भारत चीन बॉर्डर पर दिन रात रखवाली करने वाली एक मात्र अफसर) 🔫 Pooja

भारतीय क्रिकेट के पितामहः महाराजा जाम साहेब रणजीत सिंह जी जाडेजा

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      ===टेस्ट क्रिकेट और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले प्रथम भारतीय===                        आज हम आपका परिचय उस हस्ती से करवाएंगे जिसे भारतीय क्रिकेट का पितामहः कहलाने का गौरव प्राप्त है और साथ ही भारत के घरेलू क्रिकेट सत्र के सबसे बड़े टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का नामकरण भी उनके नाम पर किया गया है। गुजरात में नवानगर रियासत के महाराजा रहे जाम साहेब रणजीत सिंह जी जाडेजा पहले भारतीय थे जिन्होंने प्रोफेशनल टेस्ट मैच और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला। उन्हें अब तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजो में से एक माना जाता है। क्रिकेट की दुनिया में कई नए शॉट लाने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। क्रिकेट की दुनिया में लेग ग्लांस शॉट का आविष्कार और उसे लोकप्रिय बनाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। साथ ही बैकफुट पर रहकर अटैक और डिफेन्स, दोनों तरह के शॉट लगाने का कारनामा भी दुनिया के सामने सर्वप्रथम वो ही लेकर आए। रणजीत सिंह जी का जन्म 10 सितम्बर 1872 को नवानगर राज्य के सदोदर नामक गाँव में जाडेजा राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम जीवन सिंह जी और दादा का नाम झालम सिंह जी था जो नवानगर के महाराजा जाम

नकली यदुवंशियो की असलियत

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                                              असली यदुवंशी जादोन क्षत्रियो की एक रियासत है करौली। करौली रियासत के चिह्न् पर गाय का चित्र बना हुआ है। करौली के यदुवंशी क्षत्रिय अपने नाम के साथ सिंह की जगह पाल लगाते हैँ सिर्फ इसलिये की यदुवंशी क्षत्रिय श्री कृष्ण की परंपरा का पालन करते हुए गौ पालक और गौ संरक्षक होते हैँ। उनमे गौ रक्षा के लिये  इतना आग्रह होता है की वो गौ भक्षक सिंह की जगह पाल का उपयोग करते हैँ। पूरे ब्रज क्षेत्र में जादौन यदुवंशी राजपूत कृष्ण के समय से आज तक हजारो साल से राज कर रहे हैँ और आज भी इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मिलते हैँ। यदुवंशियो की दूसरी राजधानी द्वारका के नजदीक भी आज भी सबसे ज्यादा यदुवंशी राजपूतो की ही जाडेजा, चुडासमा, सरवैया, रायजादा आदि शाखाओ के राजपूत हैँ जिनके जामनगर, कच्छ, राजकोट आदि अनेक रियासते हैँ। राजस्थान के जैसलमेर में यदुवंशी भाटी राजपूतो की रियासत है जिनके पास श्री कृष्ण का छत्र है। यदुवंशी भाटी राजपूत देश भर में मिलते हैँ। इनके अलावा जाधव, हैहय, कलचुरी, छोंकर, बरेसरी, बनाफर, पोर्च आदि यदुवंशी राजपूतो की देश भर में अनेक शाखाए है। इन सब यदुवंशी

1857 स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत करने वाले राजपूत Rajputs who started freedom struggle of 1857

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1857 का स्वाधीनता संग्राम प्रमुखतः एक सैनिक विद्रोह था. सैनिको ने ही इस विद्रोह की शुरुआत की थी और बढ़चढ़कर इसमें भाग लिया था. अपितु सैनिक ही इस विद्रोह की रीड थे और गंभीरता से अंग्रेज हुकूमत को उखाड़ने के लिए प्रयासरत थे. अधिकतर सैनिको ने विद्रोह कर अपने घर जाने के बजाए(जो की वो आसानी से कर सकते थे और ज़िंदा बचे रहते) अंत तक युद्ध करना स्वीकार किया और लड़ते हुए शहीद हुए. कई जाती समूहों ने इस विद्रोह में सिर्फ लूटपाट की जिन्हें खुद विद्रोही सैनिको ने सजाए भी दी और कइयो ने व्यक्तिगत कारणों से विद्रोह किया और उनके नाम इतिहास में क्रांतिकारियों में अमर हो गए. लेकिन जिन लाखो सैनिको ने बिना किसी प्रलोभन के निस्वार्थ भाव और निडरता से अभावो में भी अंग्रेजो से युद्ध किया उनमे से बहुत ही कम सैनिको के नाम लोगो को पता है. लाखो सैनिक अपने घरो से दूर गुमनाम मौत मरे जिनकी लाशो को भी उचित सम्मान ना मिला. हजारो सैनिको ने लड़ते हुए वीरता की अद्भुत मिसाले पेश करी लेकिन इनके नाम पते कभी इतिहास में जगह नही बना पाए. इन सैनिको में अधिकतर उत्तर प्रदेश विशेषकर अवध, बिहार के भोजपुर क्षेत्र के राजपूत, ब्राह्मण और मुस

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप, महानतम स्वतंत्रता सेनानी क्यों? Why maharana pratap, the greatest ever freedom fighter?

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वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप , राष्ट्रभक्तो  के आदर्श maharana pratap, the greatest ever freedom fighter आजकल कुछ लोग महाराणा प्रताप की लोकप्रियता पर सवाल उठाते हैं, उनको नायक बताए जाने पर सवाल उठाते हैं, उनको भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कहने पर सवाल करते हैं, उनकी वीरता पर सवाल करते हैं, वो कहते हैं कि एक छोटे से राज्य के छोटे से राजा को इतना सम्मान क्यों? एक छोटा से राज्य का राजा अकबर से महान क्यों? जिनको भी इस तरह की शंकाए हैँ उन्हें यह पोस्ट  जरूर पढ़ाएं-- भारत के अंग्रेजो से स्वतंत्रता के आंदोलन में क्रान्तिकारियो के लिये मेवाड़ की धरती, चित्तौड़गढ़ और हल्दीघाटी तीर्थस्थल बन चुके थे। क्रांतिकारी संगठन अनुशीलन समिति के हर सदस्य के लिये मेवाड़ की तीर्थ यात्रा कर चित्तोड़ के विजय स्तम्भ के नीचे शपथ लेना अनिवार्य था। भारतवर्ष से देशभक्त, क्रन्तिकारी हल्दीघाटी की मिट्टी का तिलक करने आते थे। वस्तुतः अंग्रेज़ो की दासता से मुक्ति दिलाने के लिये महाराणा प्रताप के नाम ने जादू का काम किया। महाराणा प्रताप विशाल ब्रितानी साम्राज्य से जूझते राष्ट्रभक्तो के लिये आदर्श और प्रेरणापुंज थे। कर्नल टॉड ने

अमर स्वतंत्रता सेनानी, शहीद महावीर सिंह राठौर Mahaveer singh rathore, the great freedom fighter

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अमर स्वतंत्रता सेनानी, शहीद महावीर सिंह राठौर जी को शत शत नमन _/\_ कृप्या एक बार पूरा पढ़े और शेयर जरूर करें। 16 सितंबर 1904 को उत्तर प्रदेश के एटा जिले के राठौर राजपूतो के ठिकाने राजा का रामपुर के शाहपुर टहला (अब कासगंज जिला) में ठाकुर देवी सिंह जी के यहाँ जन्मे महावीर सिंह ने एटा के राजकीय इंटर कॉलेज से पढाई करने के बाद आगे की पढाई के लिये कानपुर के DAV कॉलेज में दाखिल लिया। महावीर सिंह जी को घर से ही देशभक्ति की शिक्षा मिली थी। कानपुर में इनको क्रान्तिकारियो का सानिध्य मिला और ये पूरी तरह अंग्रेजो के विरुद्ध क्रांतिकारी संघर्ष में कूद पड़े। उनके पिता को भी जब इसका पता चला तो उन्होंने कोई विरोध करने की जगह अपने पुत्र को देश के लिये बलिदान होने के लिये आशीर्वाद दिया। भगत सिंह जैसे अनेक क्रांतिकारी अंग्रेज़ो से छिपने के लिये उनके गाँव के घर में ही रुकते थे। भगत सिंह खुद 3 दिन उनके घर रुके थे। काकोरी कांड और सांडर्स कांड में शामिल होने के बाद वो अंग्रेज़ो के लिये चुनौती बन गए थे। उन्होंने सांडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह को लाहौर से निकालने में सक्रीय भूमिका निभाई थी। अपने खिलाफ अंग्रेज़ो के

बुलेट चले बिना सवार ओम बन्ना के चमत्कार, Om banna and bullet banna

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राजस्थान के लोकदेवता श्री ओम बन्ना------- बुलेट चले बिना सवार ओम बन्ना के प्रत्यक्ष चमत्कार राजस्थान वीरो की भूमि ऐसा कोई गाव नही जहा झुंझार के देवालय न हो ऐसी कोई जगह नही जो राजपूतो के रक्त से सिंचित न हो यहाँ की मिट्टी में हजारो नही लाखो कहानिया दबी पड़ी है पर सन् 1988 में पाली जिले में घटी एक विचित्र घटना ने पुरे देश को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया एक दिव्य आत्मा जो मारने के बाद भी अमर हो गयी और आज भी करती है राहगिरो की सेवा नाम है '""ओमसिंह राठौड उर्फ़ ओम बन्ना""" परिचय----- सदूर राजस्थान के पाली जिले का एक गाव "चोटीला" यहाँ ठाकुर जोग। सिंह जी के घर 5 मई को जन्म हुआ  ओमसिंह राठौड का .. आप 2 दिसम्बर 1988 को वाहन दुर्घटना में देवलोक गमन हो गये। इसके बाद में ओम बन्ना की बुलेट को पुलिस प्रशासन अपने साथ नजदीक रोहिट थाने (पाली) थाने में ले आई। चमत्कार कहो या अजूबा वो बुलेट थाने से रात को उसी स्थान पहुंच गई जहां दुर्घटना हुई थी। इसी घटना की चार बार पुनरावर्ति हुई। ठाकुर साहब व गाँववालों के निवेदन पर ओम बन्ना की अन्तिम इच्छा समझकर पुलिस प्रशासन ने