Posts

Showing posts from December, 2015

MAHARAJA CHATRSAL BUNDELA

Image
Rajputana Soch राजपूताना सोच और क्षत्रिय इतिहास ---बुन्देल केसरी,मुग़लो के काल महाराजा छत्रसाल --- दिनांक 04 मई 1649 ईस्वी को महाराजा छत्रसाल का जन्म हुआ था। कम आयु में ही अनाथ हो गए वीर बालक छत्रसाल ने छत्रपति शिवाजी से प्रभावित होकर अपनी छोटी सी सेना बनाई और मुगल बादशाह औरंगजेब से जमकर लोहा लिया और मुग़लो के सबसे ताकतवर काल में उनकी नाक के नीचे एक बड़े भूभाग को जीतकर एक विशाल स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।  बुन्देलखंड की भूमि प्राकृतिक सुषमा और शौर्य पराक्रम की भूमि है, जो विंध्याचल पर्वत की पहाड़ियों से घिरी है। चंपतराय जिन्होंने बुन्देलखंड में बुन्देला राज्य की आधार शिला रखी थी, महाराज छत्रसाल ने उस बुन्देला राज्य को ना केवल पुनर्स्थापित किया बल्कि उसका विस्तार कर के उसे समृद्धि प्रदान की। ====जीवन परिचय==== महाराजा छत्रसाल का जन्म गहरवार (गहड़वाल) वंश की बुंदेला शाखा के राजपूतो में हुआ था,काशी के गहरवार राजा वीरभद्र के पुत्र हेमकरण जिनका दूसरा नाम पंचम सिंह गहरवार भी था,वो विंध्यवासिनी देवी के अनन्य भक्त थे,जिस कारण उन्हें विन्ध्य्वाला भी कहा जाता था,इस कारण राजा हेमकरण के वंशज विन्ध्य्

NIMIVANSHI RAJPUTS THE DYNASTY OF RAJANYA JANAK AND MAA SITA

Image
RAPUTANA SOCH OR KSHATRIYA ITIHAS NIMIVANSH THE DYNASTY OF RAJA JANAK AND MAA SITA  === निमि वंश(Nimivanshi rajputs)=== ~~माता सीता का वंश~~ क्षत्रिय समाज में भगवान राम के वंशजो से सभी परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोगो को निमि वंश के बारे में जानकारी है जिसमे माता सीता का जन्म हुआ था। निमि वंश के क्षत्रिय राजपूत आज भी बिहार राज्य के मिथिला और उसके आसपास के क्षेत्र में मिलते हैं।  गौत्र- वशिष्ठ, कश्यप, वत्स प्रवर- वशिष्ठ, अत्रि, सांकृति वेद- यजुर्वेद कुलदेवी- चंडिका नदी- कोसी प्राचीन गद्दी- मिथिला निमिवंश वैवस्वत मनु की एक संतान निमि के वंशज हैं। महाराजा निमि के ज्येष्ठ पुत्र का नाम मिथि था। मिथि ने अपने नाम से मिथिला नगरी बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया। मिथि पराक्रमी शासक होने के साथ साथ बहुत बड़े विद्वान् भी थे। इस वजह से उनकी उपाधि जनक पड़ी और उनके बाद मिथिला के सभी शासको की उपाधि जनक हो गई। मिथिला को जनकपुरी भी कहते हैँ जो अब नेपाल में पड़ता है। महाराज निमि नेपाल के भी शाशक थे। कहा जाता है इसीलिए पहले नेपाल को निमिपाल कहते थे, जो कालांतर में नेपाल हो गया।  निमि की 49वीं पीढ़ी में सीरध्वज नाम

LEGENDARY WARRIOR THAKUR MOHAN SINGH MADHAD

Image
====हुतात्मा ठाकुर मोहन सिंह मडाड==== (यादगार अहमद की तवारीखें-सलतीने-अफगाना; इलियट एंड डौसन भाग 5; बाबरनामा, सर एडीलवर्ट टेबोलेट का अंग्रेजी अनुवाद पर आधारित) ठाकुर मोहन सिंह मडाड का इतिहास साहस और शौर्य की परकाष्ठा है और भारत के इतिहास में जालौर के सोनीगारा चौहान वीरमदेव के बाद क्षत्रियों का शौर्य प्रदर्शित करने वाले इस दुर्लभ वीर पुरुष की जितनी प्रशंशा की जाय वह कम ही होगी क्योकि अल्प और सीमित साधन रहते हुए इन्होंने उस बाबर की समुद्र सी लहराती प्रबल सत्ता को चुनौती दी उसके अह्निर्श विजयों से उत्तर भारत थर थर काँप रहा था, इन्होंने उस महाबली बाबर को भी अपनी तलवार का पानी पिला कर छोड़ा। यह घटना है हिजरी 936 की है| उस समय बाबर लाहौर में था और आगरा जाने की तैयारी में था। बाबर ने लाहौर से आगरा जोन के लिए प्रस्थान किया। सरहिंद पहुँचने पर उसे समाना के काजी ने उससे मुलाकात कर बताया की कैथल के मोहन सिंह मडाड (मंडहिर) नामक राजपूत ने उसकी इमलाक (जागीर) पर हमला करके उसे लूटा पाटा और जलाया और उसके बेटे को मार डाला। काजी की बात सुन के आग बबूला हुए बाबर ने फ़ौरन ही तीन हजार घुड़सवारों के साथ अली कुली

YADUVANSHI CHUDASMA KSHATRIYA CLAN

Image
RAJPUTANA SOCH और क्षत्रिय इतिहास यदुवंशी चुडासमा क्षत्रिय वंश ==चुडासमा क्षत्रिय_वंश परिचय== गोत्र : अत्रि वंश : चन्द्रवंश / यादव / यदुवंश शाखा : माध्यायनी कुल देवी : अम्बा भवानी सहायक देवी: खोडियार माँ आदि पुरुष: आदिनारयण भगवान कुल देवता: भगवन श्री कृष्ण तलवार : ताती ध्वजा : केसरी शंख: अजय नदी: कालिंदी नगाड़ा : अजीत मुख्य गद्दी : जूनागढ़ == जूनागढ़ और चुडासमा का इतिहास == >जुनागढ का नाम सुनते ही लोगो के दिमाग मे "आरझी हकुमत द्वारा जुनागढ का भारतसंघ मे विलय, कुतो के शोखीन नवाब, भुट्टो की पाकिस्तान तरफी नीति " जैसे विचार ही आयेंगे, क्योकी हमारे देश मे ईतिहास के नाम पर मुस्लिमो और अंग्रेजो की गुलामी के बारे मे ही पढाया जाता है, कभी भी हमारे गौरवशाली पूर्खो के बारे मे कही भी नही पढाया जाता || जब की हमारा ईतिहास इससे कई ज्यादा गौरवशाली, सतत संघर्षपूर्ण और वीरता से भरा हुआ है ||  > जुनागढ का ईतिहास भी उतना ही रोमांच, रहस्यो और कथाओ से भरा पडा है || जुनागढ पहले से ही गुजरात के भुगोल और ईतिहास का केन्द्र रहा है, खास कर गुजरात के सोरठ प्रांत की राजधानी रहा है || गिरीनगर के नाम से

PRATIHAR MADHAD RAJPUTS

Image
====मडाड प्रतिहार वंश==== भाइयों आज हम इस लेख के माध्यम से आप सभी बंधुओं को विस्तार से एक ऐसे क्षत्रिय वंश की जानकारी देंगे जो सदियों पराक्रमी बलिदानी और शौर्यवान होने के बावजूद भी इतिहासिक शोध की कमियों के चलते उपेक्षित रहा है। जी हाँ आज हम आपको रघुवंशी प्रतिहारों की एक शाखा , भगवान श्री राम के अनुज श्री लक्षमण के वंशज मडाड राजपूत वंश की जानकारी देगें। मडाड क्षत्रिय वंश प्रतिहार राजपूत (क्षत्रिय) वंश की ही एक शाखा है जिसका उद्धव रघुवंशी राजा श्रीरामचंद्र जी के अनुज  लक्षमण जी के वंश से हुआ। क्षत्रिय प्रतिहारों के घटियाला मंडोर ग्वालियर शिलालेखों/प्रशस्ति/ताम्रपत्रों से भी यह ज्ञात (इन शिलालेखों में यह अंकित है) होता है के प्रतिहार राजपूत भगवान श्री राम के अनुज लक्षमण के वंशज और रघुवंशी है। " कैथल चंदैनो जीतियो, रोपी ढिंग ढिंग राड़। नरदक धरा राजवी, मानवे मोड़ मडाड।।" गोत्र : भारद्वाज  प्रवर: भारद्वाज, बृहस्पति , अंगिरस  वेद: सामवेद कुलदेवी: चामुंडा कुलदेव: विष्णु पक्षी: गरुड़ वृक्ष: सिरिस प्रमुख गद्दी: कलायत विरुद: मानवै मोड़ मडाड ( सबसे बड़े मडाड) आदि पुरुष: लक्ष्मण पवित्र नदी: ग