अपना गाँव अपना देश...


बहुत दिनों बाद एहसास हुआ चेहरे पर खुशियों का
मन में नई-नई उमंग का।
बहुत दिनों बाद एहसास हुआ गाँव की सौंधी-सौंधी ठण्डी हवा का
अमृत जैसे साफ स्वच्छ जल का।
बहुत दिनों बाद एहसास हुआ घने जंगलों में मधुर स्वर पक्षियों का
चारों तरफ खुले आसमाँ, उन बर्फ़ीली चोटियों का
गाँव में अपने बचपने का माँ के आँचल में ममता का
माँ के हाथों बने हुए खाने का।
बहुत दिनों बाद एहसास हुआ बीते दिनों के हरइक लम्हे का।
बगीचे में पेड़ों की ठण्डी-ठण्डी छाँव का उन मीठे-मीठे रसीले फलों का।
बहुत दिनों बाद एहसास हुआ गाँव की मर्मस्पर्शी मिट्टी का
बचपन की हर इक जगह का।
दोस्तों के संग खेलने का।
बहुत दिनों बाद एहसास हुआ देश से परदेश जाते वक्त
बीते उन हर इक पहलुओं का।

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