1857 की क्रांति में साठा-चौरासी के राजपूतो का संघर्ष- भाग 2***










#‪#‎अंग्रेज़ो‬ के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में राजपूतो का योगदान भाग-5##


***1857 की क्रांति में साठा-चौरासी के राजपूतो का संघर्ष- भाग 2***
===ठाकुर गुलाब सिंह तोमर और बागी सपनावत===





मित्रो पिछली पोस्ट में हमने साठा चौरासी क्षेत्र के धौलाना के राजपूतो के बलिदान के बारे में बताया था। इसके दुसरे भाग में आज हम मुकीमपुर गढ़ी के ठाकुर गुलाब सिंह तोमर और बागी गाँव सपनावत के बारे में बताएंगे।


~~मुकीमपुर गढ़ी के ठाकुर गुलाब सिंह तोमर~~






साठा चौरासी का मुकीमपुर गढ़ी गाँव पिलखुवा के निकट अवस्थित है जो कि तोमर राजपूतो का गाँव है। यहाँ के ठाकुर गुलाब सिंह तोमर बहुत बड़े जमींदार हुआ करते थे और उनका स्थानीय जनता में बहुत प्रभाव और मान सम्मान था। 1858 के विप्लव की शुरुआत के बाद क्षेत्र के राजपूत ग्रामीणों ने भी जमींदार गुलाब सिंह तोमर के नेतृत्व में बगावत कर दी। ठाकुर गुलाब सिंह ने ब्रितानियों को लगान न देने एवं क्रांतिकारियों का साथ देने का निश्चय किया। उन्होंने क्षेत्र वासियों को भी लगान न देने के लिए प्रेरित किया। मुकीमपुरगढ़ी में जमींदार ठाकुर गुलाब सिंह के नेतृत्व में राजपूतो की एक बैठक बुलायी गयी। इसमें सभी ने ठाकुर गुलाब सिंह से सहमत होते हुए ब्रिटिश सरकार को भू-राजस्व न देने की घोषणा की। इस प्रकार मुकीमपुर गढ़ी राजपूत क्रांतिकारियों का मजबूत गढ़ बन गया। जमींदार ठाकुर गुलाब सिंह ने निकटवर्ती क्षेत्र के गाँवों को भी क्रांति के लिए प्रोत्साहित किया। परिणामतः वहाँ भी क्रांतिकारी भावनाएं पनपने लगी और कुछ समय में वहाँ कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से भंग हो गयी। ब्रितानियों से संघर्ष होने के पूर्वानुमान के कारण जमींदार गुलाब सिंह ने अपनी गढ़ी (लखौरी ईटों की किलेनुमा हवेली ) में हथियार भी इकट्ठे करने शुरू कर दिये।





मुकीमपुर गढ़ी के विप्लव की सूचना जब अंग्रेज अधिकारियों तक पहुँची तो उन्होंने उसके दमन का निश्चय किया। ब्रितानियों ने गुलाब सिंह को क्रांतिकारियों का नेता घोषित किया और मुकीमपुर गढ़ी तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्र में विप्लव भड़काने का आरोप भी उन पर लगाया गया। एक ब्रिटिश सैन्य टुकड़ी यहाँ विप्लव के दमन के लिए भेजी गयी। उसने मुकीमपुर गढ़ी को चारो ओर से घेर लिया। गुलाब सिंह की हवेली पर तोप से गोले बरसाये गये। मुकाबला असमान था लेकिन ठाकुर गुलाब सिंह जी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने ब्रितानियों का सामना किया परन्तु वे तोपों के सामने ज्यादा देर टिक न सके। ठाकुर गुलाब सिंह की गढ़ी को तोपों से खंडहर में परिवर्तित कर दिया। ठाकुर गुलाब सिंह और उनके कई सहयोगी वीरता पूर्वक लड़ते हुए वीरगती को प्राप्त हो गए। ब्रिटिश सेना को हवेली के अन्दर कुएँ से हथियार प्राप्त हुए जो उनका सामना करने के लिए जमींदार गुलाब सिंह एवं ग्रामीणों ने इकट्ठा किये थे। बाद में मुकीमपुर गढ़ी गाँव में आग लगा दी गयी। ब्रिटिश अधिकारी डनलप ने गुलाब सिंह की सम्पूर्ण जायदाद जब्त कर ली। आज भी ठाकुर गुलाब सिंह जी की हवेली के खंडहर 1857 की क्रांति के गवाह बने हुए हैं।


~~बागी गाँव सपनावत ~~


सपनावत साठा क्षेत्र के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण गाँव में से है जो गुलावठी के पास अवस्थित है। यह गहलोत(शिशोदिया) राजपूतो का गाँव है और बहादुरी और बगावती तेवरो के लिये हमेशा प्रसिद्ध रहा है। यहाँ के राजपूतो ने हमेशा की तरह 1857 के विप्लव में भी अपनी बहादुरी और देशभक्ति का परिचय दिया। साठा चौरासी में बह रही क्रांति की लहर से सपनावत भी अछूता नही रहा और गाँव ने बगावत कर दी। सपनावत के राजपूतो ने भी मुकीमपुरगढ़ी और पिलखुवा की तरह भू-राजस्व गाजियाबाद तहसील में जमा करने से इंकार कर दिया। इसके बाद सपनावत ने पूरी तरह अपने को स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित कर दिया।


मशहूर क्रांतिकारी मालागढ के नवाब वलीदाद खाँ जिनपर मेरठ से लेकर अलीगढ तक बागियों की सरकार की जिम्मेदारी थी, को भी सपनावत के ग्रामीणों से अत्यधिक सहयोग मिला था। नवाब वलीदाद खाँ गाजियाबाद तथा लोनी का निरीक्षण करके सपनावत में भी रूके थे। यहाँ के ग्रामीणों से इनके नजदीकी सम्बन्ध थे। इसी कारण सपनावत के निवासियों ने क्रांति के समय नवाब वलीदाद खाँ की बहुत सहायता की।


सपनावत से कुछ दूर बाबूगढ़ में अंग्रेजी सेना की छावनी थी। गढ़मुक्तेश्वर से बाबूगढ़ आए बागी बरेली ब्रिगेड के क्रांतिकारी सैनिकों की सहायता के लिए यहाँ के अनेक नौजवान वहाँ पहुँच गये। बाबूगढ़ में क्रांतिकारियों ने अत्यधिक लूटपाट की और दुकानों में आग लगा दी।


1857 की क्रांति की असफलता के पश्चात् अनेक ग्रामों को क्रांतिकारियों का साथ देने या क्रांति में संलग्न होने के कारण ब्रिटिश सरकार ने बागी घोषित कर दिया। उन गाँवों की जमीन-जायदाद छीन ली गई। इन बागी ग्रामों में सपनावत भी था। सपनावत गाँव को भी विप्लवकारी गतिविधियों में भाग लेने के कारण बागी घोषित कर दिया गया और यहाँ के किसानो की जमीने छीन ली गईं।इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्रांति में भाग लेने वाले राजपूतों,मुस्लिमो की जमीने अंग्रेजों के भक्त जाटों के नाम चढ़ा दी गयी.


इन वीर आत्माओ को हमारा नमन जिनकी बहादुरी और बलिदानो की वजह से आज हम स्वतंत्र हैँ_/\_



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