मुरैना जिला की तंवरघार का एक ऐतिहासिक कुआँ जिसका पानी पीने से ही इन ग्रामीणों के अंदर आत्मसम्मान स्वाभिमान का भाव पैदा हो जाता है।






 मुरैना जिला की तंवरघार का एक ऐतिहासिक कुआँ जिसका पानी
पीने से ही इन ग्रामीणों के अंदर आत्मसम्मान स्वाभिमान का भाव पैदा हो
जाता है।





**साधारण नहीं था 100 साल पुराने इस कुएं का पानी, 2 महीने अंग्रेज थे परेशान**











मुरैना जिले की पोरसा के तहसील के ग्राम कौंथर का नाम आते ही उस प्राचीन
कुएं की यादें दिमाग में उभर आती हैं, जिसके बारे में अभी तक यह कहा जाता
था कि जो भी इस कुएं का पानी पीता है, उसके अंदर आक्रोश उत्तेजना पैदा हो
जाती है और लोग एक-दूसरे को मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। मगर हकीकत
इसके विपरीत है। कौंथर के प्राचीन कुएं का पानी उत्तेजित करने वाला नहीं
बल्कि स्वाभिमान आत्मसम्मान का भाव पैदा करने वाला था।


कौंथर गांव
में स्थित माता मंदिर के पुजारी आशाराम (70) बताते हैं कि तकरीबन 100 वर्ष
पूर्व कौंथर गांव के तीन बागी भाइयों भूपसिंह तोमर, जिमीपाल तोमर और मोहन
सिंह तोमर ने नागाजी धाम के महाराज कंधरदास के प्रयासों से बीहड़ों का
रास्ता छोड़कर गौ हत्या रोकने का संकल्प लिया।
इसी संकल्प के साथ
तीनों भाइयों ने ग्वालियर मुरार के कसाईखाने पर हमला बोल दिया, जहां गौवंश
को काटकर मांस का निर्यात किया जाता था।


कसाईखाने को तहस-नहस करने
के बाद तीनों भाइयों ने कौंथर गांव में शरण ले ली। इससे नाराज होकर यंग
साहब नामक अंग्रेजी अफसर ने इलिंग बर्थ नाम की पूरी रेजिमेंट ही कौंथर गांव
को तहस-नहस करने के लिए भेज दी। लेकिन कौंथर के मुठ्ठीभर ग्रामीणों ने
पूरे दो महीने तक अंग्रेजी सेना को गांव के अंदर नहीं घुसने दिया। इससे
घबराए अंग्रेज अफसरों ने गांव के ही भेदियों को यह पता लगाने भेजा था कि
आखिर ऐसा क्या है, जिससे गांव के लोग अंग्रेजी सेना को टक्कर दे रहे हैं।
भेदियों ने अंग्रेजी अफसरों को बताया कि गांव में एक प्राचीन कुआं है,
जिसका पानी पीने से ही इन ग्रामीणों के अंदर आत्मसम्मान स्वाभिमान का भाव
पैदा हो जाता है। बाद में अंग्रेजी अफसरों ने भेदियों की मदद से गांव के
प्राचीन कुएं अन्य कुओं को पटवा दिया। इसके बाद ही सेना गांव में घुस सकी
थी।


यह सत्य है कि अंग्रेज अफसर यंग साहब के नेतृत्व में ब्रिटिश
फौज की पूरी एक रेजिमेंट ने कौंथर गांव पर हमला किया था। कई पुरानी
लोकगाथाएं भी इस क्षेत्र के बारे में प्रचलित है। लेकिन यहां की गौभक्त
भाइयों की घटना सत्य है। प्रो.‌ डाॅ. शंकर सिंह तोमर, इतिहासकार -
साहित्यकार


कौंथर गांव के प्राचीन कुए का पानी पीकर लोग स्वाभिमानी
हो जाते थे, इसका उल्लेख ब्रिटिश गजेटियर में भी है। इसमें उल्लेख है कि
सन् 1914 में गर्मियों के दिनों में मुरार के कसाईखाने पर हमला किया गया
था। तब ई. इलिंग बर्थ रेजिमेंट ने बागियों की घेराबंदी की, लेकिन उन्होंने
सरेंडर करते हुए अंग्रेजी सेना को दो माह तक टक्कर दी, इसलिए रेजीडेंट ने
गांव के तीनों कुएं ही पाट दिए। कुछ समय पूर्व सबसे पुराने कुएं को खोला भी
गया लेकिन अब उसका जलस्तर काफी
नीचे चला गया है।



सन्दर्भ और साभार---http://m.bhaskar.com/news/referer/521/MP-OTH-ancient-well-water-which-had-given-self-respect-to-freedom-fighters-4891365-PHO.html?pg=1






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