राष्ट्रनिर्माता "सरदार पटेल" जाति से गुर्जर थे या कुर्मी??




Sardar patel Gurjar or Kurmi?????---



गुजरात के पटेल (पाटीदार) गुज्जर हैं या कुर्मी हैं?

या दोनो हैं या

इन दोनों ही जातियों से पाटीदारों का कोई सम्बन्ध है या नही?????



दरअसल गुजरात के पाटीदार कनबी/कुणबी जाति से आते हैं जो पटेल टाइटल लिखते हैं इनका उत्तर भारत की गूजर जाति से दूर दूर तलक कोई सम्बन्ध ही नही है।



पाटीदार असल मे कनबी/कुणबी समुदाय के हैं जो खुद को सोलंकी राजपूतो के समय गुजरात मे आना बताते हैं, ब्रिटिशकाल में ये राजपूत जमीदारों की जमीनें पट्टे पर लेकर सामूहिक रूप से जोतते थे जिसके कारण इन्हें पट्टेदार या पट्टीदार कहा जाता था और इनके गांव का मुखिया पटेल कहलाया जाने लगा।

बाद में गुजरात मे पटेल या पाटीदार कनबी जाति के लिये जातिसूचक हो गया।

इनके दो वर्ग हैं लेवा और कड़वा जिनमे आपस मे विवाह सम्बन्ध आमतौर पर नही होते।

ये गुजरात के पाटीदार स्वयं को क्षत्रियो से निकला हुआ ही बताते हैं कुछ इन्हें क्षत्रिय पिता व ब्राह्मण माता की संतान मानते हैं।



आजकल गुजरात के पाटीदार पटेल खुद का सम्बन्ध बिहार पूर्वांचल के कुर्मियों से जोड़ते हैं।



आजादी के आसपास किसी केएल पंजाबी ने एक बुक लिखी जिसमें उसने सरदार पटेल को गुर्जर लिखा, पर उनका आशय जातिसूचक नही बल्कि स्थानसूचक था।

उसे साक्ष्य मानकर उत्तर भारत की पशुपालक गुज्जर जाति ने सरदार पटेल को गुज्जर ही घोषित कर दिया,

जबकि गुजरात का मूलनिवासी होने के कारण ही मुंबई में मौहम्मद अली जिन्ना औऱ महात्मा गांधी भी 1915 ईसवी में एक संगठन गुर्जर सभा के सदस्य बने थे ,जो उनके गुज्जर जाति के होने का परिचायक नही बल्कि गुजरात का निवासी होने को दर्शाता है,

ऐसे ही गुजरात के महान साहित्यकार इतिहासकार ओर राजनेता श्री केएम मुंशी जो ब्राह्मण थे वो भी स्वयं को गुर्जर लिखते थे उनके अनुसार भी गुर्जर स्थानसूचक संज्ञा थी न कि जातिसूचक।



गुजरात मे गुर्जर काड़िया मिस्त्री नामक जाति भी मिलती है वो विश्वकर्मा समुदाय है उनका भी उत्तर भारत के पशुपालक गुज्जर सुमदाय से कोई सम्बन्ध नही है।



विदेशों में भी गुजराती काड़िया व अन्य गुजरातियों द्वारा गुर्जर सभा नामक संगठन बनाए हुए हैं वो भी वहां गुजरात मूल के लोगो के हैं उनका भी उत्तर भारत के पशुपालक गुज्जर समुदाय से कोई सम्बन्ध नही है!!



आज गुजरात मे पशुपालक गुज्जर जाति की कोई आबादी नही है।।



न जाने कैसे उत्तर भारत के पशुपालक गुज्जर समुदाय ने सरदार पटेल और पाटीदारों को गूजर मानकर इसका प्रचार शुरू कर दिया जिसपर कुछ लोग भरोसा भी करने लग गए।

कुछ गूजर भाई दिल्ली से जाकर सरदार पटेल की पुत्री से मिले कि आप गूजर हो या नही, तो उन्होंने विनम्रता पूर्वक मना कर दिया।



राजस्थान के गुर्जर आंदोलन में पटेलों ने कोई दिलचस्पी नही ली, पर गुजरात के पटेल आंदोलन में गुज्जर समर्थन देने पहुंच गए।

इनको मूर्ख बनाने हार्दिक पटेल एक बार दिल्ली भी आया था।

कुल मिलाकर गुजरात के पटेल/पाटीदार समाज से उत्तर भारत के गूजरो का कोई सम्बन्ध ही नही है।

अब जाकर कुछ समझदार गुज्जर बन्धु इस बात को मानने लगे हैं कि सरदार पटेल और पाटीदार का उत्तर भारत के गुज्जर समाज से कोई सम्बन्ध नही है।पर अधिकांश गुज्जर भी इसी झूठ को जी रहे हैं।

वैसे शारीरिक दृष्टि कद काठी नस्ल के हिसाब से देखे तो उत्तर भारत के गुज्जर गुजरात के पटेलों से बेहतर हैं, गोत्र/खाप/भाषा रिवाज इनमे कुछ भी एक दूजे से नही मिलता।



अब कुछ गूजरो ने गुजरात के पशुपालक मालधारी समुदाय रेबारी को गुज्जर घोषित कर दिया है!!!!



पटेल जिस कुणबी जाति के हैं वो भी उत्तर भारत के कुर्मी समाज की तरह एक कुशल कृषक समाज है, लोकतंत्र में संख्याबल दिखाने के लिए गुजरात के कुणबी पाटीदार और उत्तर भारत के कुर्मी खुद को एक ही होना प्रचारित करते हैं पर असल मे इन दोनों के गोत्र/खाप एक दूसरे से बिल्कुल भी नही मिलते।

यही नही मध्य प्रदेश में कुछ जिले तो ऐसे हैं जहां कुर्मी और (कुणबी)पाटीदार दोनो जातियां मिलती हैं और अलग अलग समाज माने जाते हैं इससे इनके एक ही जाति होने का खंडन हो जाता है,

दरअसल नाम और पेशे में कुछ साम्यता होने के अतिरिक्त गुजरात के (कुणबी)पटेल और यूपी एमपी बिहार के कुर्मी में भी कोई सम्बन्ध नही है।





मजे की बात है कि हरियाणा राजस्थान वेस्ट यूपी का गुज्जर सरदार पटेल को गुज्जर प्रचारित करता है और पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार के कुर्मी सरदार पटेल को कुर्मी बताकर उनकी जयंती मनाते हैं और उनकी देखा देखी पटेल टाइटल भी लिखते हैं जबकि सरदार पटेल न तो गुज्जर थे न ही कुर्मी!!

वो महान नेता थे जिन्होंने भारत राष्ट्र का एकीकरण किया था।वो सर्वसमाज के लिए पूजनीय हैं।



जय श्रीराम

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